बांके लाल कंसल

बांके लाल कंसल (Bankey Lal Kansal)

(माताः स्व. भगवती देवी, पिता स्व. सोहन लाल)

जन्मतिथि : 4 अप्रैल 1912 जन्म स्थानः नैनीताल

पैतृक गाँव : सोमना जिला : अलीगढ़

वैवाहिक स्थिति : विधुर बच्चे : 2 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : प्राथमिक- प्रा.पा., नैनीताल

हाईस्कूल- अलीगढ़

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1920 में आठ साल की उम्र में कागज का तिरंगा लेकर राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े थे, तल्लीताल से मल्लीताल जुलूस में शामिल होने के कारण पुलिस सु. थामसन ने पिटाई की। तभी से लगातार आन्दोलनरत रहे।

प्रमुख उपलब्धियां : गांधी जी के आश्रम वर्ध में रहने के कारण सत्य और अहिंसा पर पूर्ण निष्ठा रही। जिसके कारण जीवन राष्ट्र सेवा में समर्पित होता चला गया। नेहरू जी से विशेष सम्बन्ध रहा। जिसके कारण इंदिरा जी ने बड़ा सम्मान दिया। नैनीताल में 1874 में आर्य समाज की स्थापना हुई, जो कि विश्व के प्राचीनतम आर्य समाजों में से एक है। जन्म से ही आर्य समाज से जुड़े रहे। सन 1937 से लगातार 13 साल तक म्यूनिसिपल कमिश्नर रहे। वर्तमान आर्य समाज मन्दिर हेतु 13 विभागों से जमीन दिलवायी। सर्वप्रथम विधवा विवाह की शुरूआत की।

युवाओं के नाम संदेशः यह राज्य तभी सिरमौर हो सकता है जब त्यागमय जीवन जीते हुए पूर्ण पुरुषार्थ करने के पश्चात्, परमात्मा की शरण में अपने दुर्गुणों को छोड़कर समर्पित हो जाय। दीन-दुखियों की सेवा ही अपना लक्ष्य बनायें।

विशेषज्ञता : संग्रामी, समाज सेवा।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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